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3 Jun 2023 · 1 min read

नश्वर सांसारिकता

लोहित धधकती चिताओं के मेले,
शुचित धूम के सघन घन अकेले,
शमशान के दृश्य यद्मपि भयावह,
अटल मृत्यु के सत्य तथ्यों से खेलें।

निस्तब्धता के पल क्षण विलक्षण,
साक्ष्य देते कि गात नश्वर व भंगुर,
भौतिक प्रभावों में संलिप्तता शुचि,
हितैषी नहीं, कदापि न अक्षुण्ण।

कर्मफल से सदा सृजित जो नियति,
धरा पर प्रबलतम प्रतिपल सजग,
संज्ञान मानव को यद्मपि सहज,
विश्वास को लेकिन न सुमति।

जीवन व मृत्यु मिलन कष्टकारी,
प्रतिबन्ध किन्तु प्रकृति का निष्ठुर,
शुभकर्म पुण्यों का संचय करें नित,
नियति में भी बदलाव करते शुचित।

–मौलिक एवम स्वरचित–

अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ
लखनऊ (उ.प्र)

Language: Hindi
150 Views
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