आज़ाद गज़ल
खुदा महफ़ूज रक्खें मेरी गजलें पढ़ने वालों को
देते हैं दाद मुझे जो भूल कर अपने जंजालो को ।
करके नज़रंदाज़ मेरे गजलों की सब खामियों को
तारीफ वो करतें है सिर्फ उठाए गए सवालों को ।
कैसे चुका पाऊंगा भला मैं इन के एहसानों को
इश्वर स्वस्थओसुरक्षित रक्खें इन दिलवालों को ।
दिल चीर कर मैं दिखा तो नहीं सकता हूँ ,मगर
दुआओं मे याद करता हूँ मैं मेरे चाहनेवालों को।
अब क्या मनवा कर ही दम लोगे अजय हम से
भूले नही हो लाइक ओ कमेंट करनेवालों को ।
-अजय प्रसाद