_17_इंसान हैवान हुआ जाता है
कली -कली मुरझाई जाती है,
गुलशन सेहरा हुआ जाता है,
जमीं में नहीं है नमी बंजर हुई जाती है,
बीज-बीज पत्थर हुआ जाता है,
प्रकृति की देवी अंधियारे में खोई जाती है,
पूरा जहां शमशान नज़र आता है,
अजीब कशमकश में हूं ये क्या हुआ जाता है?
सुना है मैने इंसान हैवान हुआ जाता है।।
कोयल की कूक अब होती नहीं कहीं,
उनका आशियां भी वीरान हुआ जाता है,
हर वक्त मुर्गे की बांग सुनाई देती है अब,
वो जीवन को बचाने को बेताब नज़र आता है,
दाने -दाने की खलिश परिंदो को हुई जाती है,
तिनका- तिनका उनका आशियां हुआ जाता है,
अजीब कशमकश में हूं ये क्या हुआ जाता है?
सुना है मैने इंसान हैवान हुआ जाता है।।
एक -एक बूंद पानी की मोती हुआ करती थी,
यह मोती भी अब विष का पान हुआ जाता है,
पानी से ही सबकी सांसे चला करती हैं,
इस जल का जीवन वीरान हुआ जाता है,
वैसे जल ही जल नज़र आता है जमीं पर,
पर पीने के जल का अकाल हुआ जाता है,
अजीब कशमकश में हूं ये क्या हुआ जाता है?
सुना है मैने इंसान हैवान हुआ जाता है।।
भूख और प्यास से अब इन्सान मरा जाता है,
दाने -दाने को अब मोहताज नज़र आता है,
इंसानों का जहां अब कब्रिस्तान हुआ जाता है,
रईस तो और भी मालामाल हुआ जाता है,
गरीब की झोपड़ी इनका मकान हुआ जाता है,
मद में चूर यह बहुत मजबूर हुआ जाता है,
अजीब कशमकश में हूं ये क्या हुआ जाता है?
सुना है मैने इंसान हैवान हुआ जाता है।।