Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2019 · 1 min read

947 बचपन के वो दिन

बचपन के वो दिन।
गए हमसे जो छिन।
कितने प्यारे थे वो दिन।
बचपन ………दिन।

दौड़ लगाते बागों में,
करते फूलों से प्यार।
जिन पर भँवरे करते भिन-भिन।
बचपन ………दिन।

खुशबू आती दूर-दूर तक।
खूब चमकती कलियाँ।
लगती तारों सी झिलमिल।
बचपन ………दिन।

सखी सहेलियाँ होती पास।
खेलती सब पोषण पा।
रहती थीं सब हिलमिल।
बचपन ………दिन।

बचपन के वो दिन।
गए हमसे जो छिन।
कितने प्यारे थे वो दिन।
बचपन ………दिन।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहू बनी बेटी
बहू बनी बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"प्यासा कुआँ"
Dr. Kishan tandon kranti
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*पत्थरों  के  शहर  में  कच्चे मकान  कौन  रखता  है....*
*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है....*
Rituraj shivem verma
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
कवि रमेशराज
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
सिकन्दर बन कर क्या करना
सिकन्दर बन कर क्या करना
Satish Srijan
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
तुलना से इंकार करना
तुलना से इंकार करना
Dr fauzia Naseem shad
धन्यवाद कोरोना
धन्यवाद कोरोना
Arti Bhadauria
8--🌸और फिर 🌸
8--🌸और फिर 🌸
Mahima shukla
*वह भी क्या दिन थे : बारात में नखरे करने के 【हास्य-व्यंग्य 】
*वह भी क्या दिन थे : बारात में नखरे करने के 【हास्य-व्यंग्य 】
Ravi Prakash
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
वहाॅं कभी मत जाईये
वहाॅं कभी मत जाईये
Paras Nath Jha
जिंदगी तूने  ख्वाब दिखाकर
जिंदगी तूने ख्वाब दिखाकर
goutam shaw
वो जहां
वो जहां
हिमांशु Kulshrestha
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
Rambali Mishra
फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में,
फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में,
Shreedhar
एतबार इस जमाने में अब आसान नहीं रहा,
एतबार इस जमाने में अब आसान नहीं रहा,
manjula chauhan
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
पंकज प्रियम
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
Ram Krishan Rastogi
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
262p.पूर्णिका
262p.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
World Blood Donar's Day
World Blood Donar's Day
Tushar Jagawat
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
Loading...