942 जुदाई
ऐसी तन्हाई है छाई।
की दिल की धड़कन,
भी देती है सुनाई।
याद जब तेरी आई।
टिक गई निगाह कहीं,
और आँख भर आई।
जब से हुई जुदाई।
बैठे हैं गुमसुम,
आवाज तेरी,दी ना सुनाई।
कौन है वो हरजाई।
प्रेम में मिलने बिछड़ने की,
जिसने रीत है बनाई।
प्रेम में जो बहार छाई।
बिछड़ने पर क्यों,
उस पर खिज़ा है छाई।
ऐसी तन्हाई है छाई।
की दिल की धड़कन,
भी देती है सुनाई।