9. पोंथी का मद
तेरा है अब यह दिल मेरा तेरे लिये ही जी रहा,
बस तेरी है तलब मुझे खुश्बू तेरी ही पी रहा,
मुझे तेरी धड़कन याद है निगाहों के वो सायें याद हैं,
जो जी चुका हूं तेरी सादगी वो ही तो बस हूं जिया ।
चार गली के रास्ते पर भी, मिल जाओ तो साथ चले दिल,
दूर रहे या पास रहे दिल, दिल में रहो तो साथ रहे दिल;
मुझे तेरी धड़कन याद है, निगाहों के वो सायें याद हैं,
जो जी चुका हूं तेरी वो गली, वो ही तो बस हूँ जिया ।
ये मेरी साँसें हैं तेरी दुआ, तुझ ही में खोके खुद को है पाया,
जीना है अब बस तेरे प्यार में, बस यही है दिल की सदा,
मुझे तेरी धड़कन याद है, निगाहों के वो सायें याद हैं,
जो जी चुका हूं तेरी वो हँसी, वो ही तो बस हूँ जिया ।
शब्दों के अंबार सजाकर बैठूँगा कभी तेरे छत पर,
बात करेंगे सूरज बादल चाँद सितारे छप्पर छत पर,
व्यंग्य की मुस्कान मार तुम करना चूर मेरी पोंथी का मद,
पलकों से पहुंचाना प्रेम खड़े हैं हम तुम दो छोरों पर।
मुझे तेरी धड़कन याद है निगाहों के वो सायें याद हैं,
जो जी चूँका हूँ तेरी नजरों का प्रेम, वो ही तो बस हूँ जिया ।।
~राजीव दुत्ता ‘घुमंतू’