853 खुशी से जी लूँ
क्या खबर कल की, आज ही मैं जी लूँ।
क्यों खोया रहूँ गम में, क्यों ना आज खुशी से जी लूँ।
गम के घूट पीकर,कल का मरता आज ही ना मर जाऊँ।
कुछ पल खुशी के बिता लूँ, कुछ जाम खुशी के पी लूँ।
हर तरफ मातम है, हर तरफ छाया है अंधेरा।
क्यों ना कुछ पल अंधेरों को, रोशनी के दे दूँ।
वक्त तो गुजर ही रहा है ,गुजर ही जाएगा।
क्यों ना मैं इनके साथ ,अपनी हसरतों को जी लूँ।