8) दिया दर्द वो
दिया दर्द वो, पर प्यार बेहिसाब माँगता है।
दिया नहीं कभी कुछ, पर हिसाब माँगता है।
.
भरोसे को भी उसपर भरोसा करने का भरोसा
नहीं पर वो है कि भरोसे का जवाब माँगता है ।
.
बह गई जिंदगी यूं ही दरिया में सूखे पत्ते की
तरह पर वो जिंदगी का किताब माँगता है।
.
लुढ़कती घिसटती जैसे तैसे कटती गई जिंदगी
वो तो खुशनुमा जिंदगी का खिताब माँगता है।
.
काँटों से मुखातिब रहे देखा नहीं नरमियों को
पर वो है कि महकता हुआ गुलाब माँगता है।
.
वक्त ठहरता नहीं कभी, यूं ही गुजरता जाता है
जीवन संघर्ष है “पूनम” बस आदाब मांगता है ।
–पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान
Mob-Wats – 9414875654
Email – poonamjha14869@gmail.com