7) पूछ रहा है दिल
पूछ रहा है ये दिल ……..
मालिक तूने ये क्या किया ?
पूछ रहा है ये दिल तुझसे।
हँसते थे जो बेपरवाह हम लोग,
मुस्कुराना भी भुला दिया।
मालिक तूने ये क्या किया?
पूछ रहा है ये दिल तुझसे।
मिलते थे जो गैरौं से भी लोग
दोस्तों की तरह,
अब तो अपने भी इंसानियत
तक को भुला दिया ।
मालिक तूने ये क्या किया ?
पूछ रहा है ये दिल तुझसे।
दूर रहते थे मगर
रहते थे दिलों में ।
आज पास रहकर भी
जगह है नहीं दिलों में ।
पूछ रहा है तुझसे ये दिल ।
आखिर तूने ऐसा क्यों किया ?
उत्तर तो मिलेगा यहीं ,
निरुत्तर तू होगा नहीं ।
मेरा प्रश्न नहीं बेकार है ,
तुम्हारे उत्तर का इंतजार है ।
इंतजार है ………………
–पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान
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