7. तेरी याद
तेरे आने की आहट से
मैं अपने ग़म भुलाता हूँ,
कभी तू आती है छुप-छुपकर
कभी तेरी याद आती है।
ढूंढती है निगाहें मेरी
तन्हा शामों को तुझे,
कभी तेरी ज़ुल्फ़ें महकती हैं
कभी तेरी खुश्बू आती है ।
उजाले होते हैं बिन तेरे
मेरे कई बेरंग से फीके,
कभी तेरी पायल छनकती है
कभी तेरी आवाज़ आती है ।
मैं अक्सर भूल जाता हूँ
मौसम की करवट को,
वो तो हर बूंद है बारिश की
जो तेरी याद दिलाती हैं।
~राजीव दुत्ता ‘घुमंतू’