(7) आज का इंसान
जीवन है भगवान कि देन,
मनुष्य तो कतपुटली है।
फिर भी कितना घमंडी,
है आज का इंसान।
गर्भ से बाहर आने के लिए,
मांगी थी हजारों मन्नते।
बाहर आया गर्भ से तो,
कहने लगा क्या है भगवान।
क्या यही है आज का इंसान।
बचपन में मां – पिता का प्यार मिला,
बोला करूंगा हमेशा आप का सम्मान।
बड़ा हुआ बोला कोन है आप,
क्या यही है आज का इंसान।