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27 May 2024 · 1 min read

कर जतन बचें भौंरा तितली

5- ** कर जतन बचें भौंरा तितली**

मुझसे बोली कल एक कली मेरे सपने में था भौंरा तितली।
ना चाह थी हो नर या मादा ना दिन या रात का था वादा।
कोई कीट डाल पर चढ़ जाता मेरा भी कुनबा बढ़ जाता।
ढूंढा था बनकर फिकरमंद, मैं चाहती थी लुटवाना मकरंद।

सो खुशबू छोड़ बजाई सीटी , तब आई मतवाली चींटी।
चींटी ने पान किया मकरंद , परागण हुआ मिट गए द्वंद।
अपना अस्तित्व बचाने हित हर दुर्घटना से देर भली।
कहें “विज्ञ” सुन भद्र जनों ! कर जतन बचें भौरा तितली।।

Language: Hindi
1 Like · 58 Views

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