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24 Mar 2023 · 1 min read

5″गांव की बुढ़िया मां”

5″गांव की बुढ़िया मां”
————————————–

गांव के उस पावन मंदिर से,
घंटे की मृदु ध्वनि गुंज रही,
दूर क्षितिज को छूती देखो,
नभ धरती को चूम रही।
चित्त में ऐसी जगी जिज्ञासा,
कैसी भीड़ लगी है आज!
चैत मांस की पूर्णिमा,
धुआं उठ रहा सरताज।
स्वर्ण धातु सा गुम्बद चमके,
बैठी नीचे बुढ़िया मात,
दहिने बैठे पवन सुत,
कुछ दूर विराजे भोलेनाथ।
अमृत धार बहे पग से,
नव उर्जा का सृजन बनी,
संकट हर्ता तन-मन का,
तू है मां जगत जननी।।

वर्षा (एक काव्य संग्रह)/ युवराज राकेश चौरसिया
9120639958

Language: Hindi
1 Like · 446 Views
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