डर से अपराधी नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हर खुशी पर फिर से पहरा हो गया।
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
जीवन में उन सपनों का कोई महत्व नहीं,
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
तेरी चाहत में सच तो तुम हो
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
*अवध में प्रभु राम पधारें है*
लघुकथा कौमुदी ( समीक्षा )
एहसासों से भरे पल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ये आँखें तेरे आने की उम्मीदें जोड़ती रहीं
*हमारे विवाह की रूबी जयंती*
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।