4893.*पूर्णिका*
4893.*पूर्णिका*
🌷 कुछ यहाँ कहते नहीं 🌷
212 2212
कुछ यहाँ कहते नहीं ।
कुछ यहाँ सहते नहीं ।।
जिंदगी में जिंदगी ।
कुछ यहाँ रहते नहीं ।।
देख लो दुनिया जरा।
कुछ यहाँ सहते नहीं ।।
बन नदी कलकल करें ।
कुछ यहाँ बहते नहीं ।।
चाहतें खेदू बढ़े ।
कुछ यहाँ ढ़हते नहीं ।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
08-11-2024शुक्रवार