Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2024 · 1 min read

4893.*पूर्णिका*

4893.*पूर्णिका*
🌷 कुछ यहाँ कहते नहीं 🌷
212 2212
कुछ यहाँ कहते नहीं ।
कुछ यहाँ सहते नहीं ।।
जिंदगी में जिंदगी ।
कुछ यहाँ रहते नहीं ।।
देख लो दुनिया जरा।
कुछ यहाँ सहते नहीं ।।
बन नदी कलकल करें ।
कुछ यहाँ बहते नहीं ।।
चाहतें खेदू बढ़े ।
कुछ यहाँ ढ़हते नहीं ।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
08-11-2024शुक्रवार

6 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
4382.*पूर्णिका*
4382.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
आर.एस. 'प्रीतम'
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
हिंदी
हिंदी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"वेदना"
Dr. Kishan tandon kranti
आकांक्षाएं और नियति
आकांक्षाएं और नियति
Manisha Manjari
अपने सपनों के लिए
अपने सपनों के लिए
हिमांशु Kulshrestha
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
में बेरोजगारी पर स्वार
में बेरोजगारी पर स्वार
भरत कुमार सोलंकी
जीवन में
जीवन में
ओंकार मिश्र
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
पं अंजू पांडेय अश्रु
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
राम का चिंतन
राम का चिंतन
Shashi Mahajan
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
तारों की बारात में
तारों की बारात में
Suryakant Dwivedi
" कृषक की व्यथा "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय*
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
Ranjeet kumar patre
सबला नारी
सबला नारी
आनन्द मिश्र
उसने मुझे लौट कर आने को कहा था,
उसने मुझे लौट कर आने को कहा था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
Neeraj Agarwal
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आरजी जिंदगी है ...हिसाब किताब होगा सब आखिरत में......
आरजी जिंदगी है ...हिसाब किताब होगा सब आखिरत में......
shabina. Naaz
मुझे आज तक ये समझ में न आया
मुझे आज तक ये समझ में न आया
Shweta Soni
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा,
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा,
Dr fauzia Naseem shad
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
Sunil Suman
*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*
*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*
Ravi Prakash
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
Loading...