4607.*पूर्णिका*
4607.*पूर्णिका*
🌷 हम किसी की मुहब्बत में पागल हुए 🌷
212 22 22 2212
हम किसी की मुहब्बत में पागल हुए।
तुम किसी की नफरत में पागल हुए।।
जिंदगी की अजब कहानी है यहाँ।
सच किसी की फितरत में पागल हुए।।
महकती खुशबू देखो कलियां खिले।
गुल किसी की नुसरत में पागल हुए।।
रात भर ना सो पाते यूं याद में ।
वक्त किसी की हजरत में पागल हुए।।
हम गुलामी भी खेदू करते नहीं ।
अब किसी की बरकत में पागल हुए ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
11-10-2024 शुक्रवार