Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 1 min read

4423.*पूर्णिका*

4423.*पूर्णिका*
🌷 *तुझसे कहना है क्या *🌷
22 22 22
तुझसे कहना है क्या ।
हमसे सहना है क्या।।
दुनिया का रंग यहाँ ।
कुछ तो रहना है क्या।।
कलकल करती नदियाँ ।
धारा बहना है क्या।।
तकलीफ नहीं दिल में ।
सुंदर गहना है क्या ।।
बदले चोला खेदू।
न कहर ढ़हना है क्या।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
23-09-2024 सोमवार

17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
संवेदनायें
संवेदनायें
Dr.Pratibha Prakash
"पते पर"
Dr. Kishan tandon kranti
बिजलियों का दौर
बिजलियों का दौर
अरशद रसूल बदायूंनी
गर्मी
गर्मी
Ranjeet kumar patre
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
Anis Shah
Dictatorship in guise of Democracy ?
Dictatorship in guise of Democracy ?
Shyam Sundar Subramanian
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
*स्वच्छ मन (मुक्तक)*
*स्वच्छ मन (मुक्तक)*
Rituraj shivem verma
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
ऊँ गं गणपतये नमः
ऊँ गं गणपतये नमः
Neeraj Agarwal
🙅आज का मुक्तक🙅
🙅आज का मुक्तक🙅
*प्रणय प्रभात*
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
कवि रमेशराज
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
दिल से
दिल से
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बाण मां सूं अरदास
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नीला ग्रह है बहुत ही खास
नीला ग्रह है बहुत ही खास
Buddha Prakash
पायल
पायल
Dinesh Kumar Gangwar
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
ओनिका सेतिया 'अनु '
न ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियां की भीड़ में..
न ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियां की भीड़ में..
पूर्वार्थ
बड़ी  हसीन  रात  थी  बड़े  हसीन  लोग  थे।
बड़ी हसीन रात थी बड़े हसीन लोग थे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*स्वस्थ देह दो हमको प्रभु जी, बाकी सब बेकार (गीत)*
*स्वस्थ देह दो हमको प्रभु जी, बाकी सब बेकार (गीत)*
Ravi Prakash
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
नेताम आर सी
*कविताओं से यह मत पूछो*
*कविताओं से यह मत पूछो*
Dr. Priya Gupta
सन्तानों  ने  दर्द   के , लगा   दिए    पैबंद ।
सन्तानों ने दर्द के , लगा दिए पैबंद ।
sushil sarna
Loading...