4405.*पूर्णिका*
4405.*पूर्णिका*
🌷 साथ रह कर साथ नहीं🌷
212 22 22
साथ रह कर साथ नहीं ।
हाथ देकर साथ नहीं ।।
बस उल्लू सीधा करते।
माथ खाकर साथ नहीं ।।
मस्त रिश्तें चाहा हमने।
पाथ पाकर साथ नहीं ।।
गूँजते यशगान यहाँ ।
गाथ गाकर साथ नहीं ।।
बांध सब्र फूटे खेदू।
नाथ बन कर साथ नहीं ।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
21-09-2024 शनिवार