Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2023 · 1 min read

(4) ऐ मयूरी ! नाच दे अब !

ऐ मयूरी ! नाच दे अब,
कर रहा यह मेघ कब से छाँव तुझ पर !

क्यों अचल से दृग तुम्हारे, आज स्थिर हो रहे हैं ?
क्यों सजल सी नयन कोरें, उठ रहीं , फिर गिर रही हैं ?
आज साहस साथ लेकर सामने पहुंचा तुम्हारे
आज तो देवांगना इस और अपनी दृष्टि कर दो
कामिनी ! कर प्रलय तू अब !
प्रणय का अनुरक्त मिटने आ गया है आज तुझ पर !
ऐ मयूरी !

पंख फैला नाचने को, पर कहीं तू उड़ न जाना
तरल ज्वाला बिन बुझाये, गगन का मत छोर बनाना
जोड़ दो मन-गाँठ, अब !
नैन बनकर प्रीति-डोरी, बांधते मुझको तुझी पर !
ऐ मयूरी !

तेरी अलकों से मलय-सौरभ मचलता आ रहा है
तेरे अधरों पर कुसुम रक्ताभ खिल, हिल-डुल रहे हैं
तेरे नयनों में गुलाबी स्वप्न विचरण कर रहे हैं
सहज स्वीकृति बोध दे दे !
नव-सृजन का नव-निमंत्रण, ईश का निर्देश तुझ पर !
ऐ मयूरी !

रात्रि की अमराइयों में कूक तेरी रोज उठती
मधुर मद्धिम प्रीति की अगणित तरंगें है उमड़तीं
मुस्कुरा दे आज पल भर !
जा रहा यह पथिक देकर प्यार का सब भार तुझ पर !
ऐ मयूरी !

इस तरह क्यों विवश-मुक्ते ! झुक रहे हैं दृग तुम्हारे ?
हास्यमय रोदन लिए क्यों, मुख-परिधि बनती तुम्हारी ?
शांति से संताप सह अब !
विश्व-दुःख-घन ,आज क्षण भर, घिर पड़ेगा प्रिये, तुझ पर !
ऐ मयूरी !

आज क्षण विलगाव का है, मिलन की अब “इतिश्री” है
आज तो हॅंस कर, सहज-मन, आत्मा का मिलन कर दो !
मद, हलाहल,अमृत दे दे !
युग-तृषित की तृप्ति का हर भार तुझ पर !
ऐ मयूरी !

स्वरचित एवं मौलिक
रचयिता :(सत्य) किशोर निगम

Language: Hindi
1 Like · 464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kishore Nigam
View all
You may also like:
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
Sonam Puneet Dubey
कान्हा घनाक्षरी
कान्हा घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
विविध विषय आधारित कुंडलियां
विविध विषय आधारित कुंडलियां
नाथ सोनांचली
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
Sanjay ' शून्य'
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
अपना-अपना भाग्य
अपना-अपना भाग्य
Indu Singh
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
Basant Bhagawan Roy
"तुझे चाहिए क्या मुझमें"
Dr. Kishan tandon kranti
भेड़चाल
भेड़चाल
Dr fauzia Naseem shad
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
ये तनहाई
ये तनहाई
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
पेड़ और ऑक्सीजन
पेड़ और ऑक्सीजन
विजय कुमार अग्रवाल
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
*प्रणय प्रभात*
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सनातन
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
निगाहें
निगाहें
Shyam Sundar Subramanian
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
दीवारें
दीवारें
Shashi Mahajan
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
-- नसीहत --
-- नसीहत --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
23/169.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/169.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
पूर्वार्थ
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
Neeraj Agarwal
Loading...