Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

3425⚘ *पूर्णिका* ⚘

3425⚘ पूर्णिका
🌹 ना भाग दुनिया की अंधी दौड़ में 🌹
2212 22 22 212
ना भाग दुनिया की अंधी दौड़ में ।
बस आजमाते लोग यहाँ दौड़ में।।

जीना नहीं आया देखो जिंदगी।
ये एक दिन खप जायेगी दौड़ में।।

जाना कहाँ है मालूम नहीं हमें ।
बाजी लगा रहते शामिल दौड़ में।।

नासमझ समझाते समझे गुर यहाँ।
कहते सभी ये क्या हासिल दौड़ में।।

अवसर यहीं खेदू सब पहचानते।
यूं दौड़ते होते काबिल दौड़ में ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
09-05-2024 गुरुवार

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
पूर्वार्थ
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
भारत के जोगी मोदी ने --
भारत के जोगी मोदी ने --
Seema Garg
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
अगर आपको किसी से कोई समस्या नहीं है तो इसमें कोई समस्या ही न
अगर आपको किसी से कोई समस्या नहीं है तो इसमें कोई समस्या ही न
Sonam Puneet Dubey
*साहित्यिक बाज़ार*
*साहित्यिक बाज़ार*
Lokesh Singh
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
Lokesh Sharma
आखिर वो माँ थी
आखिर वो माँ थी
Dr. Kishan tandon kranti
6-जो सच का पैरोकार नहीं
6-जो सच का पैरोकार नहीं
Ajay Kumar Vimal
23/100.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/100.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सज़ा तुमको तो मिलेगी
सज़ा तुमको तो मिलेगी
gurudeenverma198
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
புறப்பாடு
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*नारी है अबला नहीं, नारी शक्ति-स्वरूप (कुंडलिया)*
*नारी है अबला नहीं, नारी शक्ति-स्वरूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
मजदूर दिवस पर विशेष
मजदूर दिवस पर विशेष
Harminder Kaur
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
वक्त की मुट्ठी में कैद मुकद्दर क्या है ?
वक्त की मुट्ठी में कैद मुकद्दर क्या है ?
ओसमणी साहू 'ओश'
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...