3221.*पूर्णिका*
3221.*पूर्णिका*
🌷 जोखिम जो आज उठाता है🌷
22 22 22 22
जोखिम जो आज उठाता है ।
यूं जीवन संवर जाता है ।।
साथ नहीं देती ये दुनिया।
कैसे देख रिश्ता नाता है ।।
गैरों की बात नहीं करते ।
सच खुद को अपना भाता है ।।
बदले मंजिल आकर अपनी ।
वक्त भी समझ नहीं आता है ।।
संकल्प अपना देखो खेदू।
वीरान चमन महकाता है ।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
01-04-2024सोमवार