3205.*पूर्णिका*
3205.*पूर्णिका*
🌷🌷 *अपनों में तुम *🌷🌷
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अपनों में तुम ।
सपनों में तुम ।।
महके बगियां ।
सुमनों में तुम ।।
यूं कदम बढ़े ।
लगनों में तुम ।।
मंजिल पाते ।
विधुनों में तुम ।।
साजन खेदू।
सजनों में तुम ।।
……….✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
29-03-2024शुक्रवार