3118.*पूर्णिका*
3118.*पूर्णिका*
🌷 अपनों में मशगूल मिलते🌷
22 22 2122
अपनों में मशगूल मिलते।
काँटो में भी फूल मिलते।।
नजरों में नजरिया है ।
मौसम भी अनुकूल मिलते।।
खुशियांँ अपनी गुनगुनाती।
चाहत यूं माकूल मिलते।।
दौड़े भागे जब आदमी।
पग पर उड़ती धूल मिलते।।
कुदरत कहती रोज खेदू।
दिल में प्यार कबूल मिलते ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-03-2024मंगलवार