3018.*पूर्णिका*
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3018.*पूर्णिका*
🌷 चेहरा खिलते रहे
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चेहरा खिलते रहे।
रोज हम मिलते रहे ।।
प्यार की दुनिया सजे।
हमसफर चलते रहे।।
जिंदगी महके यहाँ ।
ख्वाब यूं पलते रहे।।
जीत जाते बाजियां ।
हाथ शत्रु मलते रहे।।
नासमझ खेदू कहां ।
पेड़ यूं फलते रहे।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-02-2024शनिवार