Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

3 _उसे और जलना था …

3 _उसे और जलना था …

वो थोड़ा उदास थोड़ा तन्हा था
सफर अकेले ही तय करना था ,
अंधेरा कितना भी हो घनेरा मगर
चांद को सूरज सा जलना था …

बड़ा ज़िद्धी था निखरता ही गया
जिन पत्थरों से उसे बिखरना था,
टूटे सितारों सा और मन्नत मांग लें
ज़माने को बस यही करना था …

चांद बेफिक्र था अपने दागों से
दुनियां की नजरों में संवरना था
कितने कवि रोशन हुए लिख कर
दाग दार है उसे और जलना था …

जिसने जो खोया वही खोजा उसमें
हीर , माँ या फिर कहानीयां गढना
चांद आओ ना कुछ देर यहां बैठो
सिखा दो मुझको अंधेरों से लड़ना …

– क्षमा ऊर्मिला

Language: Hindi
49 Views
Books from Kshma Urmila
View all

You may also like these posts

मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
Pooja Singh
"कविता"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
Neeraj Agarwal
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
*** यार मार ने  कसर ना छोड़ी ****
*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
Dr.Pratibha Prakash
.
.
Amulyaa Ratan
बदलती जिंदगी
बदलती जिंदगी
पूर्वार्थ
मेरे सपनो का भारत
मेरे सपनो का भारत
MUSKAAN YADAV
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यथार्थ से दूर का नाता
यथार्थ से दूर का नाता
Dr MusafiR BaithA
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
ओसमणी साहू 'ओश'
बिरवा कहिसि
बिरवा कहिसि
डॉ.सतगुरु प्रेमी
सच के दामन में लगे,
सच के दामन में लगे,
sushil sarna
संविधान से, ये देश चलता,
संविधान से, ये देश चलता,
SPK Sachin Lodhi
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
लक्ष्मी सिंह
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
शेखर सिंह
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
अंसार एटवी
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
पंकज परिंदा
- एक तरफ विश्वास दूसरी तरफ विश्वासघात -
- एक तरफ विश्वास दूसरी तरफ विश्वासघात -
bharat gehlot
शब्द अभिव्यंजना
शब्द अभिव्यंजना
Neelam Sharma
आपका भविष्य आपके वर्तमान पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप वर
आपका भविष्य आपके वर्तमान पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप वर
Ravikesh Jha
अनुरक्ति की बूँदें
अनुरक्ति की बूँदें
singh kunwar sarvendra vikram
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
Rj Anand Prajapati
सर्दी
सर्दी
OM PRAKASH MEENA
*Maturation*
*Maturation*
Poonam Matia
2533.पूर्णिका
2533.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
🙅झाड़ू वाली भाभी🙅
🙅झाड़ू वाली भाभी🙅
*प्रणय*
Loading...