3. यह कैसी झूठी शान है
हमारे देश में नेता – नेता नहीं,
हिजड़ों की खान हैं ।
मुर्ख जनता समझती है,
वो हमारी जान हैं ।।
कहाँ गये बोस, चंद्रशेखर आजाद,
और भगत सिंह पे मरनेवाले,
केवल इतिहास के पन्नों तक, जो इन्हें सिमटा दिया ।
सपने देखे थे इन्होंने भी, जिसको तुमने मिटा दिया ।।
आजादी के दिन ही केवल,
नारा लगते हैं, ये सब वीर जवान हैं ।
तुमसब तो मौज मनाते हो,
भुखे मजदूर किसान हैं ।।
एक तरफ है दारू विकता,
दुजे दूध मोहताज है ।
कैसा वो कानून बनाया,
जिनके सिर पर ताज है ।।
यहाँ धनकुबेरों की बारात,
वहाँ मरते मजदूर-किसानों की बरसात ।
देखो-देखो ऐ दुनिया वालों,
ये कैसी झूठी शान है ।।
समझना है तो समझो तुम,
यह अपना हिन्दुस्तान है ।
जहाँ आज भी कहते हैं लोग,
मेरा देश महान है ।
यह कैसी झूठी शान है,
यह कैसी झूठी शान है ।।
कवि – मन मोहन कृष्ण
तारीख- 24/04/2018
समय – 09 : 30 (रात्रि)