Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2023 · 1 min read

2845.*पूर्णिका*

2845.*पूर्णिका*
🌷 देखा जिसे देखते रहे🌷
2212 212 12
देखा जिसे देखते रहे।
बस प्यार से परखते रहे।।
दुनिया कहीं बदलती यहाँ ।
कागज पन्ने बदलते रहे।।
समझा कहाँ बात दिल यहाँ।
क्या जिंदगी समझते रहे।।
बांटे महक फूल यूं बने।
बगियां जरा महकते रहे।।
अरमान खेदू रखे जहाँ ।
पंछियों सा चहकते रहे।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-12-2023गुरुवार

163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहानी
कहानी
Rajender Kumar Miraaj
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
ruby kumari
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
सुख भी बाँटा है
सुख भी बाँटा है
Shweta Soni
जो
जो "नीट" है, उसे क्लीन होना चाहिए कि नहीं...?
*प्रणय*
आदर्श
आदर्श
Bodhisatva kastooriya
बलराम विवाह
बलराम विवाह
Rekha Drolia
"जमीं छोड़ आसमां चला गया ll
पूर्वार्थ
कलियों  से बनते फूल हैँ
कलियों से बनते फूल हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नाटक नौटंकी
नाटक नौटंकी
surenderpal vaidya
हम ख़फ़ा हो
हम ख़फ़ा हो
Dr fauzia Naseem shad
फर्जी
फर्जी
Sanjay ' शून्य'
4792.*पूर्णिका*
4792.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सलाम मत करना।
सलाम मत करना।
Suraj Mehra
ईज्जत
ईज्जत
Rituraj shivem verma
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"जान लो"
Dr. Kishan tandon kranti
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
उमा झा
खामोश किताबें
खामोश किताबें
Madhu Shah
विचलित
विचलित
Mamta Rani
सच्चे- झूठे सब यहाँ,
सच्चे- झूठे सब यहाँ,
sushil sarna
**रक्षा सूत्र का प्रण**
**रक्षा सूत्र का प्रण**
Dr Mukesh 'Aseemit'
In the midst of a snowstorm of desirous affection,
In the midst of a snowstorm of desirous affection,
Chaahat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
22)”शुभ नवरात्रि”
22)”शुभ नवरात्रि”
Sapna Arora
Loading...