2780. *पूर्णिका*
2780. पूर्णिका
सोचा था क्या हमने
22 22 22
सोचा था क्या हमने।
पाया है क्या हमने।।
सुंदर दुनिया अपनी ।
बोया है क्या हमने ।।
देखो तकदीर यहाँ ।
रोया है क्या हमने।।
जागे इंसां हरदम।
सोया है क्या हमने ।।
खुशियाँ बांटे खेदू।
खोया है क्या हमने ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
01-12-2023शुक्रवार