मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
#लोकराज की लुटती लाज
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
" अब कोई नया काम कर लें "
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
Consistency does not guarantee you you will be successful
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
*प्रेम*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"