दर्द देह व्यापार का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
जीवन में कुछ भी रखना, निभाना, बनाना या पाना है फिर सपने हो प
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
23/157.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस