2659.*पूर्णिका*
2659.*पूर्णिका*
बनके बादल हरदम बरसे
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बनके बादल हरदम बरसे।
ये रंग नया हरदम बरसे।।
जीने का अंदाज निराले ।
प्यारी खुशियाँ हरदम बरसे ।।
सोच बदलते दुनिया अपनी।
सच प्यार यहाँ हरदम बरसे ।।
दूर न जाए आकर मंजिल ।
खून पसीना हरदम बरसे।।
परवाह नहीं किसको खेदू।
सावन आकर हरदम बरसे।।
………✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
30-10-23 सोमवार