बुलंदियों पर पहुंचाएगा इकदिन मेरा हुनर मुझे,
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
आलोचना - अधिकार या कर्तव्य ? - शिवकुमार बिलगरामी
"सब्र का इम्तिहान लेता है।
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
तुम ने हम को जितने भी गम दिये।
रक्षा है उस मूल्य की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से