जीवन की रंगत: सुख और दुख का संगम
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
जिंदगी की राहों में, खुशियों की बारात हो,
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"उन्हें भी हक़ है जीने का"