2618.पूर्णिका
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2618.पूर्णिका
🌷यहाँ न समझे कोई 🌷
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यहाँ न समझे कोई ।
पहेलियाँ बुझ कोई ।।
न जिंदगी है मिलती
जहर जहर बुझ कोई ।।
बता नई राह कहाँ ।
हक्के बक्के बुझ कोई ।।
परोपकार करें हम ।
कहे सजन बुझ कोई ।।
तलाश मंजिल खेदू।
अना मना बुझ कोई।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-10-2023मंगलवार