2608.पूर्णिका
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2608.पूर्णिका
🌷 जीवन नया गढ़ रहे🌷
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जीवन नया गढ़ रहे।
सोते जगे पढ़ रहे ।।
मंजिल नई यूं मिली।
हम नित शिखर चढ़ रहे ।।
दुनिया कहाँ देखती ।
कोई यहाँ बढ़ रहे ।।
बस हाथ ये थाम के।
अपनी किस्मत कढ़ रहे ।।
इंसान खेदू भले।
अपना जहाँ मढ़ रहे ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-10-2023गुरू वार