बदमिजाज सी शाम हो चली है,
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
दान गरीब भाई को कीजिए -कुंडलियां -विजय कुमार पाण्डेय
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
व्यक्ति को ख्वाब भी वैसे ही आते है जैसे उनके ख्यालात होते है
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
कभी बारिश में जो भींगी बहुत थी