कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
कारगिल युद्ध के समय की कविता
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
प्रेम के खातिर न जाने कितने ही टाइपिंग सीख गए,
Anamika Tiwari 'annpurna '
*होते यदि सीमेंट के, बोरे पीपा तेल (कुंडलिया)*
बुंदेली चौकड़िया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मन हर्षित है अनुरागमयी,इठलाए मौसम साथ कई।