मुझसे मेरा ही पता पूछते हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
करतलमें अनुबंध है,भटक गए संबंध।
हिंदी दोहे- कलंक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,