बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
महामारी एक प्रकोप
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
इक नई मोड़ हर रोज़ सामने आ जाती है,
सगीर गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)*
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
वक्त निकल जाने के बाद.....
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
जो है दिल में वो बताया तो करो।
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब