प्यार के काबिल बनाया जाएगा।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
कहां गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
तुम्हारे पथ के कांटे मैं पलकों से उठा लूंगा,
मंजिल तक पहुँचने के लिए
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तेरा मेरा खुदा अलग क्यों है
वह कौन सा नगर है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर #विशेष_कविता:-