2580.पूर्णिका
2580.पूर्णिका
🌷जिसे सोचते🌷
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जिसे सोचते।
उसे देखते ।।
यहाँ जिंदगी ।
किसे खोजते।।
कहीं चाह है ।
उसे कोसते।।
तमाशा नहीं ।
यहाँ नोचते।।
न खेदू कहे।
जरा पोसते।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
8-10-2123रविवार