सुनाओ मत मुझे वो बात , आँसू घेर लेते हैं ,
प्यार की चंद पन्नों की किताब में
प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
होता है हर किसी को किसी बीती बात का मलाल,
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*सिवा तेरे सुनो हम-दम हमारा भी नहीं*
खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर
वो भी तिरी मानिंद मिरे हाल पर मुझ को छोड़ कर