गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
सबके सुख में अपना भी सुकून है
दुनिया की अनोखी पुस्तक सौरभ छंद सरोवर का हुआ विमोचन
The News of Global Nation
रोज हमको सताना गलत बात है
हम हरियाला राजस्थान बनायें
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
"गिराने को थपेड़े थे ,पर गिरना मैंने सीखा ही नहीं ,
*भीमताल: एक जन्म-दिवस आयोजन यात्रा*
पहले नदियां थी , तालाब और पोखरें थी । हमें लगा पानी और पेड़
बेईमान बाला
singh kunwar sarvendra vikram