जब तक आपका कामना है तब तक आप अहंकार में जी रहे हैं, चाहे आप
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
मुझे आदिवासी होने पर गर्व है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
जीवन से पहले या जीवन के बाद
गीत- किसी बरसात-सी मुझको...
वक्त बर्बाद मत करो किसी के लिए
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
*पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्य
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक