(25) पानी की तरह
ए इंसान तू पानी की,
तरह बन जाना।
जब भी तेरा कोई,
दिल दुखाय तो,
तू उसे ले संग अपनी लहर में चले जाना।
ले सब की शिकायते,
पानी में डूबो देना।
मत रखना अपने मन,
पर कोई बोझ किसी की,
भी बात का पानी की तरह,
सब किनारे छोड़ जाना।
एक पल के लिए,
तू भी पानी बन जाना।
छोटी छोटी बातों को,
दिल से न लगाना,
मान पानी की बात,
सब गीले- शिकवे पानी,
में बाहा जाना ।
डांट माता – पिता की,
कुछ पल में भूल जाना।
आत्महत्या कर उनको,
न जीते- जी मार जाना।
बन पानी की तरह,
सब कुछ भुला जाना।