पोरांनी कशी करावी मैत्री यांच्याशी?
हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
हिंदी दोहे- कलंक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*जीवन-साथी यदि मधुर मिले, तो घर ही स्वर्ग कहाता है (राधेश्या
मांदर बाजय रे गोरी नाचे न
"पहचानो अपने मित्रों को "
उनकी बातों में जहर घुला है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कोई दवा दुआ नहीं कोई जाम लिया है
"ना ढूंढ सको तिनका, यदि चोर की दाढ़ी में।
चल पड़ी है नफ़रत की बयार देखो
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'