चेहरे की शिकन देख कर लग रहा है तुम्हारी,,,
चुनौतियों और परेशानियों से डरकर
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर
बेवजह किसी पे मरता कौन है
*चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के है भंडार (कुंडलिया)*
बुंदेली दोहे- रमतूला
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
जैसा सोचा था वैसे ही मिला मुझे मे बेहतर की तलाश मे था और मुझ
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,