2410.पूर्णिका
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2410.पूर्णिका
🌷आग लगी है सीने में 🌷
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आग लगी है सीने में ।
नाज नहीं है जीने में ।।
तकलीफ मिटे दुनिया से ।
रोज यहाँ मस्त पीने में ।।
मंजिल है अपनी अपनी।
खुशियाँ खून पसीने में ।।
खेल यहाँ तो जीवन भर ।
गुजरे वक्त दिन महिने में ।।
राज छिपाते सब खेदू ।
जीवन देख नगीने में ।।
…………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-7-2023सोमवार