24/238. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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24/238. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 कभू इतरा देथे🌷
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कभू इतरा देथे ।
कभू बिजरा देथे।।
इहां रिस मा संगी।
कभू अखरा देथे।।
मया के हे भाखा ।
कभू नजरा देथे।।
बनत पार जिहां सब ।
कभू बिखरा देथे।।
बुता मन हा खेदू।
कभू चकरा देथे।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-02-2024शुक्रवार