2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
🌹अपना दर्द दिखता नहीं 🌹
22 22 212
अपना दर्द दिखता नहीं ।
मन का गर्द दिखता नहीं ।।
अजब यहाँ ये दौर है ।
नादां मर्द दिखता नहीं ।।
इंसां मतलब साधते।
मौसम सर्द दिखता नहीं ।।
साथ निभाते साथ में ।
जग का फर्द दिखता नहीं ।।
खिलते खेदू फूल भी ।
जन का जर्द दिखता नहीं ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-8-2023गुरुवार