23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 सुनता ले सब काम बनथे🌷
22 22 2122
सुनता ले सब काम बनथे ।
काम सुघ्घर कर नाम बनथे।।
संग जमाना के चल इहां।
दुनिया मा पैगाम बनथे ।।
बीतय जिनगी बांटत खुसी ।
गुल गुलशन गुलफाम बनथे।।
घुर जाथे चिंता करइया।
कैसे का अंजाम बनथे।।
सोच समझ के चलय खेदू।
हाथे अपन लगाम बनथे।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
22-10-2023रविवार