23/192. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/192. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 मनखे हवे बजरहा🌷
2212 212
मनखे हवे बजरहा।
ये दिन हवे अलकरहा।।
रा देख सुन के इहां ।
मन के हवे चोरहा।।
सुनता नई देख ले।
दुनिया जिहां लफरहा।।
कीरा पड़े सोच मा।
सिरतो हवे बिमरहा।।
मन सुघ्घर खेदू रखय ।
सुत के उठय मुंधरहा।।
…..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-12-2023बुधवार