Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2023 · 1 min read

23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*

23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 हमन वोट डारे बर जाबो🌷
212 1222 22
हमन वोट डारे बर जाबो ।
अपन सुघ्घर सरकार बनाबो ।।
फूल कस महकही ये जिनगी ।
आज सुघ्घर संसार बनाबो।।
संग रथन सुनता मा देखव ।
बांट के मया पार बनाबो ।।
बस खुसी मनावत रह दुनिया।
सपन अपन साकार बनाबो।।
झूठ का लबारी का खेदू।
काम हमर आधार बनाबो।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-11-2023गुरुवार

190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ जय हो...
■ जय हो...
*प्रणय प्रभात*
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
gurudeenverma198
होता नहीं कम काम
होता नहीं कम काम
जगदीश लववंशी
फितरत
फितरत
Sukoon
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दलित लेखक बिपिन बिहारी से परिचय कीजिए / MUSAFIR BAITHA
दलित लेखक बिपिन बिहारी से परिचय कीजिए / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
शेखर सिंह
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
चौमासा विरहा
चौमासा विरहा
लक्ष्मी सिंह
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
তুমি এলে না
তুমি এলে না
goutam shaw
बाकी सब कुछ चंगा बा
बाकी सब कुछ चंगा बा
Shekhar Chandra Mitra
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
shabina. Naaz
तोड़ा है तुमने मुझे
तोड़ा है तुमने मुझे
Madhuyanka Raj
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
Neelofar Khan
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
माँ तुम्हारे रूप से
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
ईश्वर की महिमा...…..….. देवशयनी एकादशी
ईश्वर की महिमा...…..….. देवशयनी एकादशी
Neeraj Agarwal
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
Raju Gajbhiye
*वो जो दिल के पास है*
*वो जो दिल के पास है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
चाय की प्याली!
चाय की प्याली!
कविता झा ‘गीत’
Loading...